क्या खोया क्या पाया,
ये बात ही फिजूल है,
जिसके घर जल के खाख हो गए,
वो गरीब बहुत मजबूर है,
इस युद्ध में तो किसी का
कोई फ़ायदा न दिखा,
नुकसान बहुत होते गए
बेचारे कितने मासूम,
अपने जान खोते गए,
बहुत लोग चीख चीख कर रोते गए,
कुछ भूख से तो कुछ,
महामारी से मरते गए,
लोगो का भरोसा टूटा,
वो सब कुछ अपना खोते गए,
आम जनता तो निर्दोष थे,
फिर भी वो इस युद्ध के शिकार बने,
फ़ायदा का तो पता नही,
पर नुकसान के बीच बोते गए,
हर तरफ तबाही का मंजर होगा,
लोगो मैं डर,
और हिम्मत सभी के टूटे होंगे,
सब कुछ शुरुवात से शुरू करनी होगी,
पर वो पहले वाली बात न होगी,
जितने वाले अपनी देश की शान बढ़ाएंगे,
उनका ये फ़ायदा है कि,
वो अपने आप को जीता कर अपने पक्ष के लोगो की जान बचाएंगे,
अगला पक्ष हारा होगा,
तबाही के मंजर में फसा
वो बेचारा होगा,
लोगो की चीखे कानों
मैं गूंज रही होगी,
वो विक्षित देश पूरी तरह से बर्बाद, टूटा हुआ और हारा होगा,
दो पक्षों की युद्ध में,
मानवता के भीतर खोफ का जन्म दुबारा होगा।
Kumari sheetal
कुमारी शीतल
2.) रूस और युक्रेन
ये कैसी जंग है ये कैसी गोलीबारी,
कभी उसकी तो कभी हमारी होगी बारी।
लहूलुहान हो गया पूरा यूक्रेन,
कई दिनों से ये जंग थी ज़ारी।
करके कब्ज़ा बनाना है कठपुतली का राज,
चीख-चीख कर सुनाई दे रही है आवाज़।
मासूम भी कर रहे हैं सबसे सवाल,
बच्चो को मारना है क्या ये कमाल ??
क्या खत्म हो गई है दुनिया से इंसानियत,
दिखा रहा है रूस अपनी हैवानियत।
सब लूटा सब अपने छूटे,
किसी की जिस्म टूटे,किसी की सांस टूटे,
किसी का घर हुआ खंडर,
तो किसी को गमों का बवंडर,
कोई पल में है यतीम हुआ,कुछ आगों में झुलस गए
ये लीडर हैं बेरहम बड़े,जो सब फरामोश गए,
दुनिया है एक फानी सा फिर लोग ये क्यों करते हैं
बनके थोड़े ताकतवर भगवान से क्यों न डरते हैं।
आंखों में अश्कों की बौछार है अब जारी,
फिर उन पलों को लिखकर के मैंने लफ्ज़ों में है उतारी,
मैं सोचूं क्या मिला है इस जंग से किसी को,
जान लेकर किसी की पल में ज़िंदगी है मारी।।
सदफ नाज़। बिहार ( कैमूर )
3.) युद्ध: क्या खोया क्या पाया (रूस और यूक्रेन)
थोड़ा सा भूभाग है, और थोड़ी सी आबादी है।
यह बात है यूक्रेन की,
जीने की उसकी भी आजादी है।
धीरे-धीरे रूस उसे बर्बाद कर रहा है।
यूक्रेन की जनता समझे की ओ उन्हें आजाद कर रहा है।
जनता हो, जनार्दन हो, तुम वीर हो यूक्रेन की।
दिखा दो रास्ता उसकी हार का,नहीं तो ओ पारी का आगाज कर रहा है।
कितनों ने बचपन खोया, कितनों ने परिवार।
कितनों के घर उड़ गए, कितनों के दीवार।
न जाने ये कैसा काल है?
सबके मन में यहीं सवाल है।
जो बेघर हैं ओ कैसे हैं?
जरा पूछो उनकी क्या हाल है?
कुछ लोग माँ से बिछड़े, कुछ लोग व्यापार से।
युद्ध में क्या रखा है, जो लेना है ले लो प्यार से।
नफरत से कुछ नहीं मिलता,
जो कुछ मिलता है ओ विचार से।
एक बार राज आर्यन की बात को तुम मानों।
युद्ध में कुछ लाभ नहीं है जनों।
हम सब हैं एक जैसे और एक समान,
बीती बातों को अब मत तुम छानो
Vyas Raj Aryan
4.) युद्ध :- क्या खोया, क्या पाया….
युद्ध…… यूं तो ये एक शब्द मात्र है ।
जो सुनने में जितना बुरा लगता है..वास्तव में उससे कहीं ज्यादा विभत्स होता है।
एक हंसता खेलता परिवार, एक रोजमर्रा की ज़िंदगी में व्यस्त शहर, कब लाशों का ढेर बन जाए,कोई नहीं कह सकता ।
ये गगनचुंबी इमारतें,ये खेलों के मैदान,ये शिक्षा के मंदिर, भव्य धार्मिक स्थल….अचानक से मलबों के ढेर में बदल सकते हैं…
ये हँसी ठिठोली और ठहाके , पल भर में करुणा भरी चित्कारों में बदल सकते हैं…..
कुल मिलाकर,सबकुछ बर्बाद…
कस्बों, नगरों, शहरों, महानगरों और कई राज्यों को बारी बारी सहेज कर धीमे धीमे तरक्की करता एक देश चंद दिनों में सदियों पीछे चला जाता है…
अब रहा सवाल, युद्ध क्यों होता है….!!
बस यूं समझ लीजिए, अक्सर ऐसा ही होता है ,दो देश और उनके नेता, बस अपनी ताकत की आजमाइश करने और अपने आप को बड़ा दिखाने के लिए मासूम जानों की बलि दे देते हैं…..
हालिया उदाहरण है रूस और यूक्रेन का युद्ध….
एक तरफ दुनिया की महाशक्तियों में से एक, रूस…..
और दूसरी तरफ एक अदना सा देश यूक्रेन…..
वो यूक्रेन जिसे रूस यूं तो 2 दिनों में मसल देने के दावे ठोक रहा था, लेकिन आज 3 महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका है इस मार- काट को शुरू हुए..।
और नतीजे आप सब के सामने हैं।
एक तरफ हम ये देख कर प्रेरणा ले सकते हैं कि हम भले ही छोटे क्यों न हों,हार तो बिल्कुल नहीं माननी चाहिए…..भले ही सामने वाला आपसे लाख ताकतवर हो,
अरे कम से कम आँखें तरेर कर जवाब तो दे सकते हैं…
और दूसरी तरफ ये भी नहीं भूलना चाहिए , कि अगर बातचीत से समाधान निकल सके, तो मार काट पर क्यों उतारू होना…!!
रूस तो है ही ताकतवर, आक्रमण भी उसने किया, विनाश भी बहुत किया उसने यूक्रेन में….
यूक्रेन ने भी माकूल जवाब दिया है अबतक, झुका बिल्कुल नहीं..।
लेकिन अगर इस युद्ध से हुआ क्या?
क्या रूस दुनिया की नजरों में शक्तिशाली बना?
क्या यूक्रेन ने अपनी ताकत को जाहिर कर लिया?
जी नहीं….।
हुआ बस वो है, जो एक युद्ध में होता है……
शहरों के शहर वीरान हो गए,
बरसों से जनता के पैसों से बने तमाम शैक्षणिक संस्थान , व्यवसायिक संस्थान , पर्यटक स्थल सब कुछ बर्बाद हो गए।
सड़कों पर पड़ी पड़ी लाशें सड़ने लगी, कई परिवार बिछड़ गए, कई लोग पड़ोसी देशों की दया की बदौलत सीमा पार कर जिंदा बच तो गए,
पर जब लौट कर आयेंगे,क्या पता आएं या ना आएं,
लेकिन जब आयेंगे तो जिस जगह उनका प्यारा घर हुआ करता था, वहां मलबों में बिखरा हुआ एक खंडहर देखेंगे….।
तो कुल मिलाकर बात ये है कि युद्ध से बचना चाहिए , बर्बादियों का दूसरा नाम होता है युद्ध…।
अब आइए … कि हमारे हाथ में क्या है..!
क्या हम युद्ध रोक सकते हैं?
तो जहां तक मुझे लगता है , कि नहीं, युद्ध मूल रूप से लड़ाई है…।
और ये प्रकृति का ही नियम है कि जो ताकतवर होगा,वही जीवित रह पाएगा…
बस यही खेल है,
खुद को ताकतवर साबित करने को होड़ मची पड़ी है….
अरे पता नहीं सद्बुद्धि कब आयेगी हम इंसानों में…..
कि ताकतवर दिखाने के लिए हम अपना विकास करके भी सामने वाले से बड़े बन सकते हैं….उसके लिए सामने वाले की गर्दन घोंटने की कोई आवश्यकता नहीं होती…..
और अगर नहीं आती है सद्बुद्धि , फिर तो ठीक ही है….बस यूं ही
मौत का तांडव जारी रखें और संपूर्ण जगत का विनाश करते हुए खुद भी समाप्त हो जाएं….
:- ज्ञानिश चंद्र वर्मा
5.) युद्ध – क्या खोया क्या पाया
ईमान लुटा दिया दहशत फैल गई,
दिलों में जनता के डर बैठ गया,
ये कैसा देशों के बीच युद्ध छिड़ गया,
मीलें, दुकान जल के राख हुई,
मासूम भोली जनता की मेहनत लुट गई,
बर्बादी की रेखा चारों और खिंच गई,
आ बनी सबकी जान पर मुश्किलें,
फिर भी शांति की रेखा नहीं खिंची,
ये कैसा देशों के बीच युद्ध छिड गया,
लाखों लोग मौत के घाट उतार दिए,
फिर भी दिलों की आग बुझती नहीं,
ये कैसी भीषण युद्ध की लड़ाई छिड़ी,
तेल के दाम आसमान को छू रहे,
दुनिया भर का बजट बिगड़ रहा,
वहीं वैश्विक बाजार हुआ इससे प्रभावित,
वहीं नहीं बन रही शांति देशों में,
और खाघ उत्पादन हो रहा प्रभावित हैं,
वहीं मच रहा सब जगह कोहराम है,
आखिर क्या मिला इस युद्ध से,
अस्त्र परमाणु हथियार हो रहे नष्ट है,
फिर भी देशों में नहीं बन रही शांति है,
आखिर खो रहे देश अपने अपने हथियार,
और हो रहे आर्थिक रूप से कमजोर,
वहीं आग की ज्वाला में ध्वस्त हो रहे,
दोनों देशो की अनेकों जगह है।
Pinki Khandelwal